उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहाँ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केराकत पुलिस द्वारा एक पत्रकार पर दर्ज किए गए फर्जी मुकदमे को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने माना कि यह मुकदमा प्रताड़ना और द्वेष की भावना से दर्ज किया गया था. इसे कलम की जीत और न्यायपालिका पर पत्रकार के भरोसे की विजय के रूप में देखा जा रहा है.

मामला जौनपुर के केराकत का है. पत्रकार विनोद और उनके साथियों ने अपनी लेखनी के माध्यम से एक अस्थायी गौशाला की बदहाली पर सवाल उठाए थे. उन्होंने गौशाला की दयनीय स्थिति को उजागर किया, जिससे स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया.


गौशाला की सच्चाई दिखाना पत्रकार विनोद को भारी पड़ गया. उनकी रिपोर्टिंग के बाद, केराकत पुलिस ने उन पर वसूली सहित पांच गंभीर धाराओं में एक फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया. पत्रकार का आरोप था कि यह मुकदमा उन्हें परेशान करने और उनकी आवाज दबाने के लिए किया गया था.
पत्रकार विनोद को भारतीय संविधान और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था. उन्होंने इस फर्जी मुकदमे के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि मुकदमे का कारण प्रताड़ना और द्वेष था. इसी आधार पर, कोर्ट ने पुलिस द्वारा पत्रकार पर दर्ज किए गए फर्जी मुकदमे को रद्द कर दिया. साथ ही, हाईकोर्ट ने पुलिस से इस मामले में आख्या रिपोर्ट भी मांगी है.
मुकदमा रद्द होने के बाद पत्रकार विनोद का कहना है कि वे उन अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में मानहानि का दावा करेंगे जिन्होंने उन पर यह फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था. यह घटना पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों की रक्षा के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करती है.

Author: fastblitz24



