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नेत्रहीन पिता से धोखे से लिखवाया गया दानपत्र, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने किया निरस्त

जौनपुरग्राम कटाहित खास निवासी नेत्रहीन वृद्ध रामधनी बिंद के साथ उनके पुत्र द्वारा किए गए धोखे पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कुमार सौरभ द्वारा लिया गया न्यायोचित एवं ऐतिहासिक निर्णय अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के संरक्षण संबंधी अधिनियम 2007 की धारा 23 (1) के तहत दर्ज किया गया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रामधनी बिंद, जो दोनों आँखों से पूर्णतः नेत्रहीन हैं, के दो पुत्र रमाकांत और शशिकांत तथा एक अविवाहित पुत्री माधुरी हैं। रामधनी के पास कुल 16 बिस्वा कृषि भूमि थी, जिसमें से 13 बिस्वा भूमि रमाकांत ने 9 नवम्बर 2023 को अपने नाम दान पत्र के माध्यम से करवा ली थी।

दान पत्र मिलते ही पिता को घर से निकाला, बहन की शादी से किया इनकार
जमीन हस्तांतरित होते ही रमाकांत ने अपने पिता का भरण-पोषण करना बंद कर दिया, यहाँ तक कि उन्हें घर से भी निकाल दिया। इसके अतिरिक्त, उसने अपनी अविवाहित बहन माधुरी की शादी कराने से भी साफ इनकार कर दिया, जबकि यह वादा दानपत्र के समय किया गया था।

पीड़ित वृद्ध रामधनी ने अधिवक्ता अंबिका प्रसाद बिंद के माध्यम से न्याय की गुहार लगाते हुए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट न्यायालय में याचिका दायर की। मामले की गंभीरता को देखते हुए ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कुमार सौरभ ने सुलह समझौता अधिकारी ललित मोहन तिवारी को स्थलीय जांच के निर्देश दिए।

ग्रामवासियों ने पुष्टि की शिकायत, पुत्र की आलोचना
जांच के दौरान सैकड़ों ग्रामवासियों ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए रामधनी के पक्ष में गवाही दी और रमाकांत की कड़ी आलोचना की। सभी ने माना कि दानपत्र छलपूर्वक और विश्वासघात की भावना से कराया गया था।

न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: दानपत्र निरस्त, जमीन वापस
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कुमार सौरभ ने अधिनियम की धारा 23 (1) के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए दानपत्र को निरस्त कर दिया और आदेश दिया कि संबंधित भूमि पुनः रामधनी बिंद को वापस सौंपी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई संपत्ति इस शर्त पर हस्तांतरित की गई हो कि प्राप्तकर्ता माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक की देखभाल करेगा, और वह इस शर्त का पालन नहीं करता है, तो संपत्ति को वापस वरिष्ठ नागरिक को लौटाने का आदेश देने का अधिकार न्यायालय को प्राप्त है।

विधिक समुदाय ने सराहा निर्णय
इस न्यायसंगत और संवेदनशील फैसले की अधिवक्ता समाज सहित स्थानीय लोगों द्वारा भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही है। इस निर्णय ने न केवल एक पीड़ित वृद्ध को न्याय दिलाया बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि माता-पिता की उपेक्षा और उनके साथ छल अब बर्दाश्त नहीं किया जाएग

 

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Author: fastblitz24

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