जौनपुर: शिक्षा समाज के उत्थान का सबसे शक्तिशाली माध्यम है, और इसी सोच को साकार करते हुए रचनात्मक एवं सामाजिक संस्था ज़ेब्रा फाउंडेशन ट्रस्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह की गरिमामय उपस्थिति में, संस्था ने वनवासी (मुसहर) समाज के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक विशेष प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया। यह पहल समाज के वंचित तबके को मुख्यधारा में लाने और उनके सपनों को पंख देने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

रशीदाबाद स्थित सी.एम.एम. इंग्लिश स्कूल में आयोजित इस परीक्षा में जौनपुर, वाराणसी और आज़मगढ़ जिलों के वनवासी समाज के हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट स्तर के कुल 137 विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसमें 82 छात्र और 55 छात्राएं शामिल थीं, जो भविष्य के प्रति उनकी जिज्ञासा और उम्मीद को दर्शाता है। परीक्षा की शुचिता और मूल्यांकन कार्य को मिशन बिरसा मुंडा सेवा समिति – आज़मगढ़ के कमलेश पासवान, मुसाफिर बनवासी, अभय कुमार बनवासी, जितेंद्र कुमार, गोविंद और चन्दन कुमार द्वारा निष्पक्षता से संपन्न किया गया। यह सामूहिक प्रयास सुनिश्चित करता है कि सही प्रतिभाओं का चयन हो सके।
ज़ेब्रा अध्यक्ष संजय कुमार सेठ ने बताया कि इस परीक्षा के माध्यम से तीनों जिलों से कुल 30 मेधावी विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा। इन चयनित 10-10 मेधावियों को स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले आदिवासी नायकों के नाम पर छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। यह न केवल इन छात्रों को वित्तीय सहायता देगा बल्कि उन्हें अपने गौरवशाली इतिहास से भी जोड़ेगा। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मो. तौफीक, शाकम्भरी नन्दन, नीरज शाह, अमरनाथ सेठ, आशीष वाधवा और रवि विश्वकर्मा सहित कई अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ज़ेब्रा फाउंडेशन का यह कार्य वास्तव में शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।



Author: fastblitz24



