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इंतजार खत्म! 30 साल बाद कश्मीर तक दौड़ेगी ट्रेन, 6 जून से दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल पर फर्राटा भरेगी वंदे भारत!

जम्मू: जम्मू-कश्मीर के लिए एक ऐतिहासिक पल बस कुछ ही दिनों दूर है। दशकों के अथक प्रयास और इंजीनियरिंग के बेजोड़ कारनामों के बाद, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना अपने अंतिम चरण में है। यह परियोजना न केवल देश की सुरक्षा, पर्यटन और विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से सीधे जोड़ेगी। 37,012 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना में 943 पुल और 36 सुरंगें शामिल हैं, जो इसे इंजीनियरिंग की एक अद्धुत मिसाल बनाती हैं। 6 जून, 2025 को कटड़ा से श्रीनगर के लिए पहली वंदे भारत एक्सप्रेस दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल पर दौड़ने के लिए तैयार है, जो इस क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।

यह सिर्फ एक रेल लाइन नहीं, बल्कि ‘जन्नत-ए-कश्मीर’ को उम्मीदों से जोड़ने वाली एक जीवन रेखा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना, जिसकी परिकल्पना 1994-95 में की गई थी, ने कई भौगोलिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना किया। विशाल नदियों, ऊंचे पहाड़ों और यहां तक कि कोरोना महामारी ने भी इस पर काम को बाधित किया, लेकिन देश के इंजीनियरों, कर्मचारियों और श्रमिकों ने हार नहीं मानी। दिन-रात एक करके उन्होंने इस असंभव से दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 6 जून को कटड़ा से श्रीनगर के लिए पहली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे, तो यह उन हजारों हाथों की मेहनत का फल होगा जिन्होंने इस परियोजना को वास्तविकता में बदला है। यह परियोजना इंजीनियरिंग की एक बेजोड़ मिसाल है, जो नदियों और पहाड़ों के बीच से रास्ता बनाती हुई आगे बढ़ी है।

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USBRL परियोजना की कुल लंबाई 272 किलोमीटर है, जिसमें से 209 किलोमीटर के ट्रैक पर रेल परिचालन पहले से ही जारी है। यह परियोजना पांच चरणों में पूरी की गई है, जिसमें बारामुला-काजीगुंड, काजीगुंड-बनिहाल, उधमपुर-कटड़ा और बनिहाल-खड़ी-संगलदान खंड शामिल हैं। अब 63 किलोमीटर का अंतिम कटड़ा-रियासी-संगलदान ट्रैक भी तैयार हो चुका है, जिसके ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं। इस ट्रैक पर बने पुल और सुरंगें अपनी इंजीनियरिंग विशेषताओं के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। कटड़ा-रियासी ट्रैक पर अंजी खड्ड पर बना देश का पहला रेलवे केबल-स्टे ब्रिज एक ऐसी उपलब्धि है जो भूकंप या तूफान जैसी किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अलर्ट जारी कर सकता है। वहीं, रियासी जिले में चिनाब नदी पर बना विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज (नदी तल से 359 मीटर ऊंचा) एफिल टॉवर से भी ऊंचा है और इसकी आयु 125 वर्ष आंकी गई है। इसके अलावा, माता वैष्णो देवी के त्रिकुटा पर्वत के नीचे बनी टी-1 सुरंग, जिसे पूरा करने में लगभग 20 साल लगे, और रामबन जिले में देश की सबसे लंबी 12.77 किलोमीटर की टी-50 सुरंग, इस परियोजना को अद्वितीय बनाती हैं। 6 जून से शुरू होने वाली यह सेवा कश्मीर को सीधे देश के बाकी हिस्सों से जोड़ देगी, जिससे क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और समग्र विकास को नई गति मिलेगी।

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Author: fastblitz24

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