जयपुर: जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के डॉक्टरों ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने एक 14 वर्षीय लड़की के पेट से संभवतः दुनिया का सबसे लंबा ट्राइकोबेज़ोअर (बालों की गांठ) सफलतापूर्वक निकाला है. यह दुर्लभ और जटिल सर्जरी न केवल डॉक्टरों की विशेषज्ञता को दर्शाती है, बल्कि एक असामान्य स्थिति से जूझ रही बच्ची को नया जीवन भी प्रदान करती है.

उत्तर प्रदेश के आगरा के बरारा गांव की रहने वाली यह 10वीं कक्षा की छात्रा ‘पिका’ नामक एक मनोवैज्ञानिक स्थिति से पीड़ित थी, जिसमें व्यक्ति चाक, धागा, मिट्टी और लकड़ी के टुकड़े जैसे गैर-खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगता है. इस आदत को बच्ची ने दूसरों को देखकर सीखा था. पिछले एक महीने से अधिक समय से वह पेट में तेज दर्द और लगातार उल्टी से परेशान थी, जिसके बाद उसे एसएमएस अस्पताल लाया गया. शुरुआती जांच में डॉक्टरों ने उसके पेट में नाभि और पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से तक फैला एक सख्त द्रव्यमान पाया. इसके बाद किए गए कंट्रास्ट एन्हांस्ड सीटी (सीईसीटी) स्कैन में एक असामान्य वस्तु से भरा हुआ पेट दिखाई दिया, जिसने चिकित्सकों को सन्न कर दिया.
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करीब दो घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को सबसे बड़ी हैरानी तब हुई जब उन्होंने पाया कि ट्राइकोबेज़ोअर सिर्फ पेट तक ही सीमित नहीं था, बल्कि छोटी आंत में भी प्रवेश कर चुका था. ऑपरेशन करने वाली टीम, जिसका नेतृत्व डॉ. जीवन कांकरिया ने किया, ने इस विशाल गांठ को एक ही टुकड़े में निकालने की चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया. यह महत्वपूर्ण था ताकि आंतों में कई चीरे लगाने से बचा जा सके, जिससे जटिलताएँ बढ़ सकती थीं. डॉ. कांकरिया के साथ इस टीम में डॉ. राजेंद्र बुगालिया, डॉ. देवेंद्र सैनी, डॉ. अमित, डॉ. सुनील चौहान और उनकी एनेस्थीसिया टीम शामिल थी. सहयोगी स्टाफ शायर और जुगन ने भी इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई. यह उपलब्धि चिकित्सा विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर है और ऐसे दुर्लभ मामलों में आशा की किरण जगाती है.

Author: fastblitz24



