नई दिल्ली: अब डॉक्टरों को मरीज़ की मौत का कारण लिखित रूप में स्पष्ट तौर पर बताना होगा। मरीज़ का अंतिम इलाज करने वाले चिकित्सकों के लिए अब मृत्यु का कारण प्रमाणित करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह महत्वपूर्ण बदलाव सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में किया गया है।
नए नियमों के अनुसार, मरीज़ की मृत्यु के बाद, इलाज करने वाले चिकित्सक को मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत के कारणों का स्पष्ट उल्लेख करना होगा और इसकी एक प्रति मृतक के परिजनों को निःशुल्क उपलब्ध करानी होगी। इस नियम का पालन न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है।

वर्तमान में, जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण से संबंधित समस्त कार्य गृह मंत्रालय द्वारा संचालित सेंट्रलाइज्ड रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। मृत्यु पंजीकरण के समय ही मृत्यु के कारणों की डेटा एंट्री भी इसी ऑनलाइन पोर्टल पर करने की व्यवस्था की गई है। इस पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ही भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मृत्यु के कारणों के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की जाती है
अधिकारियों के अनुसार, पहले अधिनियम में यह प्रावधान तो था कि मृत्यु संबंधी प्रपत्र का एक हिस्सा परिजनों को दिया जाए, लेकिन अक्सर उसमें मृत्यु का स्पष्ट कारण उल्लिखित नहीं होता था। नए बदलावों से इस प्रक्रिया में पारदर्शिता आने और शोकाकुल परिजनों को मृत्यु के सही कारणों की जानकारी मिलने की उम्मीद है।

Author: fastblitz24



