मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल – राज्य के सीमावर्ती ज़िले मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध ने अचानक उग्र रूप ले लिया है। सूती कस्बे से शुरू हुई यह हिंसा रघुनाथगंज और शमशेरगंज तक फैल गई। 11 अप्रैल को हुई बड़ी झड़प के बाद अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है और 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों में फरक्का के SDPO समेत 16 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए BSF और CRPF की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं। हिंसा की वजह से जिले के कई हिस्सों—मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम—में एहतियातन इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि विरोध पहले शांतिपूर्ण था लेकिन 11 अप्रैल को अचानक भीड़ उग्र हो गई। कई स्थानों पर ट्रेनें रोकी गईं, नेशनल हाईवे-12 को जाम किया गया और पुलिस पर पथराव हुआ। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों ने दुकानों, घरों और वाहनों को निशाना बनाते हुए लूटपाट और आगज़नी की।
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि हिंसा योजनाबद्ध तरीके से की गई। चंदवक के पास रहने वाली रिया कहती हैं, “भीड़ ने हमारे घर जला दिए, मुझे चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी दी। मैं किसी तरह जान बचाकर भागी।”
पुलिस और खुफिया एजेंसियों को शक है कि इस हिंसा के पीछे विदेशी हाथ हो सकते हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों में बांग्लादेश के प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसार बांग्ला और भारत में सक्रिय सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की भूमिका की जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि हिंसा से कुछ दिन पहले स्थानीय स्तर पर गुप्त बैठकें भी हुई थीं।
हिंसा के बाद हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों से पलायन की खबरें सामने आई हैं। जहां हिन्दू परिवारों ने अपने घर छोड़ने की बात कही है, वहीं मुस्लिम दुकानदारों ने भी नुकसान की शिकायत की है।
शमशेरगंज के एक निवासी अख्तर बताते हैं, “हमारे इलाके में अचानक हमला हुआ। दंगाई घरों में घुस गए, चीजें लूटीं और तोड़फोड़ की। यह दंगे नहीं बल्कि सुनियोजित लूट थी।” वहीं मेडिकल दुकानदार तारिक का कहना है, “मेरे घर में दुकान का सामान रखा था, सब लूट लिया गया।”
स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है और प्रशासन हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है। जिले के संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती जारी है।
source- dainik bhaskar

Author: Delhi Desk
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