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मगरधा में आदिवासी परिवारों की पुश्तैनी जमीन पर संकट, मालगुजार वंशजों पर जबरन कब्जे का आरोप

हरदा  –मध्यप्रदेश के हरदा जिले के मगरधा गांव के मुरलीखेड़ा इलाके में रहने वाले आदिवासी परिवारों ने मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर जिला कलेक्टर आदित्य सिंह को लिखित शिकायत सौंपी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी पुश्तैनी जमीन, जिस पर उनके पूर्वज पिछले 100 वर्षों से काबिज थे, अब मालगुजार परिवार की चौथी पीढ़ी के लोग जबरन उनसे छीनने की कोशिश कर रहे हैं।

पीड़ित आदिवासी परिवारों का कहना है कि उनके पूर्वजों को वर्षों पहले मगरधा क्षेत्र के एक मालगुजार ने बसाया था। उन दिनों वे उसी मालगुजार के खेतों में मजदूरी किया करते थे। मालगुजार ने उन्हें रहने और खेती करने के लिए जमीन दे दी थी, जिसे उन्होंने बंजर से उपजाऊ बनाया और वहीं बस गए।

परिवारों ने बताया कि वे कई पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं, लेकिन अब मालगुजार परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य – विशेषकर अभिनव संतोष पारे – न केवल जमीन खाली करने का दबाव बना रहे हैं, बल्कि गुंडों से धमकाकर मकानों में आग लगाने, जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं।

शिकायतकर्ताओं में बुजुर्ग आदिवासी पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल रहीं। उन्होंने बताया कि लगातार धमकियों और जमीन छिनने की कोशिशों से वे डरे हुए हैं और उन्होंने जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से मांग की है कि उन्हें बेदखल न किया जाए और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई हो।

वहीं, इस मामले में आरोपी पक्ष अभिनव संतोष पारे ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा है कि विवादित भूमि उनके पैतृक हिस्से में आई है और परिवार के बंटवारे में यह जमीन उन्हें मिली है। उन्होंने आदिवासी परिवारों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार और झूठा बताया है।

यह मामला सिर्फ ज़मीन विवाद नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय के ऐतिहासिक शोषण और उनके अधिकारों की उपेक्षा का प्रतीक बन गया है। जल-जंगल-जमीन की रक्षा करने वाले इस समुदाय को वर्षों से मुख्यधारा से दूर रखा गया। पीड़ितों का कहना है कि जहां एक समय पूर्वजों को सहारा देने वाले लोग थे, वहीं अब उन्हीं के वंशज उन्हें उनके बसे-बसाए घरों से उजाड़ना चाहते हैं।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मामले में किस तरह की कार्रवाई करता है और क्या आदिवासी परिवारों को उनका न्याय मिल पाएगा।

 

 

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Author: fastblitz24

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