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मुगल काल में होली: बादशाहों का रंगोत्सव

नई दिल्ली: 64 साल बाद देश में होली और रमजान का जुमा एक साथ पड़ रहा है। प्रशासन को हिंदू-मुस्लिम तनाव की आशंका है। हालांकि, भारत में होली सिर्फ हिंदुओं का त्योहार नहीं रहा। मुगलों के जमाने में सबसे गरीब शख्स भी बादशाह पर रंग डाल सकता था। होली पर नवाब बड़े शौक से होली मनाया करते थे

* बाबर: बाबर हौदे में शराब भरवाते और बेगमों को पिचकारी से नहलाते थे।

* अकबर: अबुल फजल ने ‘आईना-ए-अकबरी’ में लिखा है कि अकबर को होली खेलने का बहुत शौक था। वे साल भर होली की तैयारियां करते थे। वे ऐसे रंग जमा करते थे जो दूर तक फैलें। होली के दिन अकबर किले से बाहर आकर आम लोगों के साथ होली खेलते थे।

* जहांगीर: ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ में जहांगीर की होली का जिक्र मिलता है। संगीत प्रेमी जहांगीर, होली पर महफिलें सजाते थे, हालांकि, वे आम लोगों संग होली नहीं खेलते थे।

* शाहजहां: शाहजहां के समय तक होली खेलने का मुगलिया अंदाज बदल गया था। बताया जाता है कि शाहजहां के समय में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था।

* औरंगजेब: औरंगजेब ने होली खेलने पर प्रतिबंध लगाया था।

मुगल काल में होली पर महफिलें सजती थीं, नाच-गाना होता था और शाही अंदाज में रंग खेला जाता था। होली के दिन बादशाह और उनके दरबारी आम लोगों के साथ होली खेलते थे।

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Author: fastblitz24

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