अंग्रेजी शासनकाल से चली आ रही परंपरा समाप्त, विपक्ष ने जताया विरोध
गुवाहाटी। असम विधानसभा में शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए मिलने वाले दो घंटे के अवकाश को समाप्त कर दिया गया है। अंग्रेजों के शासनकाल से चली आ रही इस परंपरा को चालू बजट सत्र से समाप्त किया गया, जिससे विपक्षी दलों और मुस्लिम विधायकों ने असंतोष व्यक्त किया है।
ब्रेक समाप्त करने का निर्णय अगस्त 2024 में पिछले सत्र के दौरान लिया गया था, लेकिन इसे अब से लागू किया गया है। इस फैसले पर असंतोष जताते हुए एआईयूडीएफ (AIUDF) के विधायक रफीकुल इस्लाम ने इसे संख्या बल के आधार पर थोपा गया निर्णय बताया। उन्होंने कहा, “विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं। हमने इस फैसले का विरोध किया था, लेकिन भाजपा के पास बहुमत है और वह इसे जबरन लागू कर रही है।”

वहीं, विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक देवव्रत सैकिया ने सुझाव दिया कि मुस्लिम विधायकों को नजदीकी जगह पर नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा, “आज कई कांग्रेस और एआईयूडीएफ विधायक महत्वपूर्ण चर्चा से चूक गए क्योंकि वे नमाज पढ़ने चले गए। चूंकि यह केवल शुक्रवार को विशेष प्रार्थना के लिए जरूरी है, इसलिए भविष्य में इसका कोई समाधान निकाला जा सकता है।”
यह फैसला पिछले साल अगस्त में विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली नियम समिति द्वारा लिया गया था। विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने संविधान की धर्मनिरपेक्षता का हवाला देते हुए प्रस्ताव रखा कि शुक्रवार को भी विधानसभा की कार्यवाही अन्य दिनों की तरह जारी रहनी चाहिए। इसे समिति के समक्ष रखा गया और सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे औपनिवेशिक बोझ से छुटकारा पाने का कदम बताया। उन्होंने कहा, “यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी। इस अवकाश को समाप्त करने के फैसले से उत्पादकता को प्राथमिकता मिली है और अंग्रेजों की बनाई गई एक और परंपरा खत्म हो गई है।”

Author: fastblitz24



