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होली की तैयारी में जुटे युवा, होलिका दहन के लिए रखी गईं होलिकाएँ

            जौनपुर। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का आगाज रविवार को बसंत पंचमी के दिन हो गया। हालांकि बसंत पंचमी मुख्य रूप से वाग्देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए मनाई जाती है, लेकिन यह बसंत ऋतु के आगमन और मौसम परिवर्तन का प्रतीक भी है। इसके अलावा, इस दिन से ही होली के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है।

        होली का पर्व इस साल आगामी 13/14 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन होलिका दहन को लेकर बच्चों और युवाओं में उत्साह पहले ही दिखाई देने लगा है। रविवार को बसंत पंचमी के अवसर पर होलिका दहन के स्थानों की साफ-सफाई और पूजन के साथ शुरुआत की गई। इसके बाद रेड़ का पेड़ लगाकर होलिका दहन की तैयारी शुरू की गई।

अब आसपास के स्थानों से लकड़ियाँ और अनुपयोगी सामान इकट्ठा किए जाएंगे, जिन्हें होलिका दहन के दिन जलाया जाएगा।

                  शहर के सभी वार्डों में 300 से अधिक स्थानों पर होलिका दहन होता है। इसे लेकर बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह रहता है।

                    होली का पर्व रंगों और भाईचारे का पर्व है, जो हमें आपसी प्रेम और सौहार्द की सीख देता है। इस दिन को ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में मनाया जाता है, जिनकी तपस्या के कारण होलिका जलती है और प्रहलाद (आनंद) बचते हैं। प्रतीक रूप में यह दिखाता है कि वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका जलती है और प्रेम व उल्लास का प्रतीक प्रहलाद बचता है।

हालांकि पहले होली की धूम बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती थी, अब समय के साथ उसमें बदलाव आ गया है। पहले होली की तैयारी बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती थी, जैसे टेसू के फूलों से रंग बनाए जाते थे और त्योहार पर घर आने वाले मेहमानों के लिए पकवान व मिठाइयाँ बनाई जाती थीं। लेकिन अब बाजार में रंग और मिठाइयाँ आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, जिससे त्योहारों की तैयारी में पहले जैसा वक्त नहीं लगता।

 पहले जमाने में होली की धूम बसंत पंचमी के बाद से ही शुरू हो जाती थी। गांव के लोग चौपालों पर एकत्र होते थे और ढोल की थाप पर होली गीत गाते थे। गांव के लोग दो टोलियों में बंटकर चौपाई गाते थे, जिससे होली की मस्ती देर रात तक चलती थी। इसके साथ ही तीन दिन पहले से ही गांव के लोग घर-घर जाकर होली की बधाई देते थे।

आज के दौर में यह परंपरा कुछ कम हो गई है। अब के युवा डीजे पर फिल्मी गीतों पर डांस करना ज्यादा पसंद करते हैं, जबकि पहले की तरह चौपाइयों के मुकाबले कम होते हैं।

होली का पर्व अब पहले की तरह पारंपरिक रूप में मनाने के बजाय कुछ बदल चुका है, लेकिन फिर भी इसके प्रति लोगों का उत्साह और खुशी बरकरार है। इस बार भी होलिका दहन की तैयारियाँ जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं, और युवा वर्ग इसमें पूरी भागीदारी निभा रहा है।

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Author: fastblitz24

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