युवा चेतना दिवस के रूप में स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह
जौनपुर: जौनपुर जिले के जलालपुर विकास खंड के त्रिलोचन में एकल विद्यालय अभियान के तहत युवा चेतना दिवस के रूप में स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पैदल यात्रा निकालकर लोगों को जागरूक भी किया गया।
मुख्य अतिथि का संबोधन:

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अरविन्द कुमार पटेल ने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने लोगों को जगाने के लिए ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए’ का संदेश दिया था। वे युवाओं के प्रेरणा स्रोत, समाज सुधारक और युवा युग-पुरुष थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में हुआ था। उनके दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और आदर्श, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी स्थापित किया, युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। यही कारण है कि उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।मुख्य अतिथि ने कहा कि किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं और उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है। आज के परिदृश्य में जहाँ चारों ओर भ्रष्टाचार, बुराई और अपराध का बोलबाला है, जो घुन बनकर देश को अंदर ही अंदर खाए जा रहे हैं, ऐसे में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है।
विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं को नई चेतना से भर दे, उनके दिलों को भेद दे और उनमें नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार कर दे।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी भारत में तब उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजों के जुल्म सह रहे थे। हर तरफ सिर्फ दुःख और निराशा के बादल छाए हुए थे। उन्होंने भारत के सोए हुए समाज को जगाया और उनमें नई ऊर्जा और उमंग का प्रसार किया। उन्होंने 1897 में मद्रास में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘जगत में बड़ी-बड़ी विजयी जातियां हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की ही विजय गाथा बताया है और अब समय आ गया है भारत फिर से विश्व पर विजय प्राप्त करे। यही मेरे जीवन का स्वप्न है और मैं चाहता हूँ कि तुम में से प्रत्येक, जो कि मेरी बातें सुन रहा है, अपने-अपने मन में उसका पोषण करें और कार्यरूप में परिणत किए बिना न छोड़ें। हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को उसके लिए तैयार रहना चाहिए, मेरी आशाएं युवा वर्ग पर टिकी हुई हैं’।
स्वामी जी को युवाओं से बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने युवाओं की अहं की भावना को खत्म करने के उद्देश्य से कहा है, ‘यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले ‘अहं’ ही नाश कर डालो।’ उन्होंने युवाओं को धैर्य रखने, व्यवहारों में शुद्धता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत रहने का संदेश दिया। आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है। आज भी वे कई युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।
मुख्य अतिथि ने यह भी कहा कि जो बच्चे विद्यालय नहीं जा सकते, उन बच्चों तक विद्यालय को पहुँचाने के लिए एकल विद्यालय अभियान के द्वारा सभी गाँवों में विद्यालय खोलकर असहाय बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान पैदल चलकर लोगों को जागरूक करने का कार्य भी किया गया।
इस अवसर पर अर्चना गौतम, मनोज यादव, पार्वती देवी, अन्तिमा मौर्या, कामता प्रसाद, सतीश कुमार, प्रियंका सिंह, दाया सिंह, कल्पना यादव, अर्चना पाल, रेनू सिंह सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन मिठाई लाल और अध्यक्षता मुखराम यादव ने की।

Author: fastblitz24



