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36 मुस्लिम परिवार महाकुंभ में करेंगे संगम स्नान, 

 

 

 

**उद्देश्य है भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ना, एकता और भाईचारे का संदेश देना।

 

**जौनपुर. आगामी 14 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में जहां एक तरफ गैर सनातनियों के प्रवेश पर रोक लगाई जाने की बात चल रही है वहीं दूसरी तरफ

लगभग 36 मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग कुंभ जाकर स्नान की तैयारी कर रहे हैं.

 

प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत क्षेत्र का डेहरी गांव एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां के कई मुस्लिम परिवार, जो अपने नामों के साथ तिवारी, शुक्ला और दुबे जैसे हिंदू सरनेम लगाते हैं, अब प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में संगम स्नान की तैयारी कर रहे हैं। इस गांव के 36 मुस्लिम लोग इस बार महाकुंभ में भाग लेंगे।

 

डेहरी के निवासी नौशाद अहमद दुबे ने महाकुंभ में संगम स्नान को गर्व की बात बताते हुए कहा कि कुंभ भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। विशाल भारत संस्थान से जुड़े अब्दुल्ला दुबे ने भी महाकुंभ में शामिल होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उदासीन अखाड़ा द्वारा डेहरी के कुछ लोगों और संस्थान के सदस्यों को कुंभ में शामिल होने का निमंत्रण भेजा जाएगा।

 

गांव के लोगों का मानना है कि महाकुंभ में शामिल होना समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देगा। यह न केवल एक सकारात्मक संदेश देगा, बल्कि भारतीय परंपराओं से जुड़ने की प्रेरणा भी देगा।

 

शादी के कार्ड पर दुबे सरनेम ने खींचा था ध्यान:

 

डेहरी के नौशाद अहमद दुबे ने अपनी शादी के कार्ड पर अपना नाम “नौशाद अहमद दुबे” लिखकर पहले भी सबका ध्यान खींचा था। उन्होंने बताया था कि उनके पूर्वज हिंदू थे और करीब सात पीढ़ी पहले लाल बहादुर दुबे नामक उनके पूर्वज ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, जिसके बाद उनका नाम लाल मोहम्मद रखा गया था।

 

गांव के इसरार अहमद दुबे का कहना है कि हमें अपनी जड़ों से जुड़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि शेख, पठान, और सैयद जैसे टाइटल विदेशी शासकों द्वारा दिए गए थे। उनका मानना है कि अपने असली उपनाम को अपनाकर और जड़ों से जुड़कर हम देश को मजबूत बना सकते हैं और समाज में सौहार्द बढ़ा सकते है

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* **पृष्ठभूमि:** इन परिवारों के पूर्वज हिंदू थे, जिन्होंने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया था, लेकिन वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं।

 

महाकुंभ में डेहरी के इन लोगों की भागीदारी न केवल अपनी परंपराओं से जुड़ने का एक उदाहरण है, बल्कि यह भारतीय समाज में सांस्कृतिक एकता और आपसी सद्भाव का एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है।

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Author: fastblitz24

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