शायर रहबर जौनपुरी की याद में काव्य गोष्ठी का सफल आयोजन
**जौनपुर, नगर के मोहल्ला सिपाह स्थित जामिया मोमिना लिल बनात के उर्दू हॉल में मशहूर शायर रहबर जौनपुरी की याद में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उस्ताद शायर इबरत मछली शहरी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में जिले भर से आए कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भी श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ हाफिज अब्बास की तिलावत से हुआ, जबकि पैगंबर मोहम्मद की शान में नात पाक का नज़राना रौनक जौनपुरी ने पेश किया। रहबर जौनपुरी के पुत्र अंसार जौनपुरी ने अपने पिता की ग़ज़ल प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे मज़हर आसिफ ने रहबर जौनपुरी को याद करते हुए कहा कि वे बड़े ही मिलनसार व्यक्ति थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार में बिताया। उनकी कविताओं और किताबों पर बात की जाए तो दिन कम पड़ सकते हैं। उनकी कविताएँ सामाजिक, देशभक्तिपूर्ण और देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक पेश करती थीं।
* नजीर जौनपुरी ने जब “आप दुनिया को बदलने की हिमाक़त न करें, आप बस ख़ुद को बदलिये यही बेहतर होगा।” सुन उपस्थित जनमानस अपने बारे में सोचने पर मजबूर हो गया.
वही इबरत मछली शहरी “उसी को छोड़ दिया खानदान वालों ने, बहुत गुरुर जिसे अपने खानदान पे था।” – अकरम जौनपुरी ने “वक़्त आ जाये तो आंसू नहीं होते काफ़ी, खून ए दिल चाहिए तफ़्सीर ए मोहब्बत के लिये।” सुना कर खूब तालियां बटोरी।
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काव्य गोष्ठी में शजर जौनपुरी, शहजाद जौनपुरी, मुस्तईम जौनपुरी, मोनिस जौनपुरी, असीम मछलीशहरी, सर जौनपुरी, नातिक ग़ाज़ीपुरी, हसन फतेहपुरी, कारी जिया जौनपुरी, अनवार जौनपुरी और अंसार जौनपुरी ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
इस अवसर पर अकरम अंसारी, ताजुद्दीन अंसारी, सलाहुद्दीन खान, परवेज़ एडवोकेट, मौलाना हस्सान क़ासमी, सलमान एडवोकेट, रिज़वान अहमद, अफरोज़ आलम एडवोकेट, मौलाना शाहिद सबरहदी, मसीहुज्जमा खान, अबू ओबैदा, मोहम्मद जाफर, हमीदुल्लाह खान और कमाल आज़मी समेत बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। अंत में आयोजक डॉ. अबू अकरम क़ासमी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
यह आयोजन जौनपुर के साहित्यिक परिदृश्य और उर्दू शायरी में रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी।