सेक्टरवन स्थित हंस मंडप में श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी का 127 वां जन्म महोत्सव मनाया गया। स्थानीय सत्संगी वृंद की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसकी शुरुआत उषा कीर्तन से हुई। इसके बाद समवेत प्रार्थना एवं धर्म ग्रंथ आदि पाठ का आयोजन किया गया। फिर भजन कीर्तन, श्री श्री ठाकुर भोग का वितरण किया गया। वहीं सत्संगियों ने शोभा यात्रा भी निकाली। इसमें महिला पुरुष भक्त शामिल हुए। जन्म महोत्सव में मातृ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका विषय समाज के गठन में मातृ भूमिका थी। इस पर सभी ने वृहद चर्चा की। इसके बाद धर्म सभा का आयोजन किया गया। वहीं अंत में समवेत प्रार्थना, प्रसाद वितरण के बाद उत्सव का समापन किया गया। यहां सत्संगियों ने श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी की जीवनी की जानकारी देते हुए बताया कि उनका जन्म 14 सितंबर 1888 को पबना जिले के हिमायतपुर, जो बांग्ला देश में है, एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे मातृ भक्ति एवं पितृ भक्ति के अतुल्य जीवंत उदाहरण थे। पिताजी के अस्वस्थ होने पर पांच पर्ष की आयु में रोज इच्छामती नदी पार कर पिता के लिए दवा लाते थे। उनके जीवन में एकमात्र नशा था मां को खुश करना। दस वर्ष की आयु में उन्होंने फाउण्टेन पेन, स्टीम इंजन, साउण्ड बाक्स एवं अन्य उपकरणों का आविष्कार किया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण उनके अंदर सहज भाव से एवं प्रबल प्रचुर था। जिससे वे अक्सर समाज का हित करते रहते थे। श्री श्री ठाकुर दो सितंबर 1946 को देवघर आए एवं यहां सत्संग आश्रम का निर्माण हुआ। जो भक्ताें का मिलन क्षेत्र बन गया।
श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी की तस्वीर और शोभा यात्रा में शामिल महिलाएं।