श्री विजयपुरम (पोर्ट ब्लेयर), 22 नवंबर। ऐतिहासिक एवं परिवर्तनकारी कदम उठाते हुए अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह की जारवा जनजाति को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराकर भारत के लोकतांत्रिक दायरे में लाया गया है। पहली बार जारवा समुदाय के सदस्य चुनावी प्रक्रिया में भाग लेंगे, जो देश की लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
फिलहाल 19 जारवा आदिवासियों का मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया जा सका है। अंडमान एवं निकोबार प्रशासन के मुख्य सचिव केशव चंद्रा ने दक्षिण अंडमान के जिरकाटांग क्षेत्र में जारवा जनजाति के एक सदस्य से व्यक्तिगत रूप से पहला फॉर्म-6 प्राप्त किया।मुख्य सचिव केशव चंद्रा ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “यह हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जारवा सहित सभी आदिवासी समुदायों को अपनी सांस्कृतिक विरासत से समझौता किए बिना अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने का अवसर दिया जाए।”
यह अभूतपूर्व निर्णय सभी स्वदेशी समुदायों को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में शामिल करने के लिए चल रहे प्रयासों को दर्शाता है, साथ ही उनकी अनूठी संस्कृति और जीवन शैली की रक्षा भी करता है। दक्षिण अंडमान के जिला चुनाव अधिकारी अर्जुन शर्मा की अगुवाई में नामांकन प्रक्रिया को अत्यंत संवेदनशीलता और जारवा लोगों की परंपराओं और गोपनीयता के प्रति सम्मान के साथ संचालित किया गया।
गौरतलब है कि जारवा दक्षिण और मध्य अंडमान द्वीपसमूह के पश्चिमी तट पर रहते हैं। जारवा जनजाति के लोग तीर-धनुष से शिकार करते हैं और इसी से मछलियों और केकड़ों का शिकार करते हैं। ये शिकार और संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। यह लोग बाहरी दुनिया से संपर्क रखना पसंद नहीं करते। यह संरक्षित जनजाति हैं जो किसी बाहरी व्यक्ति से मिलते हैं तो हिंसक हो जाते हैं।