जौनपुर । गुरुवार को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और विश्वास के साथ बनाया गया।
सनातन धर्म में इस पर्व का खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में इहलोक में श्रेष्ठ भौतिक सुख और परलोक में बैकुंठ यानी परमधाम की कामना की जाती है। इसीलिए
हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के अलावा, दीपदान का भी खास महत्व है।
इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने का विधान है। इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा पर पितरों की शांति और उन्हें प्रसन्न करने के लिए दीपदान भी किया जाता है। इस खास पर्व के दिन दीपदान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहते हैं, ऐसा करने से घर वालों को उनके पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, घर खुशहाली और जीवन में तरक्की के मार्ग खुलते हैं। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने से समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और मृत्यु के बाद, जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
घर घर में वैकुंठ चतुर्दशी पर परंपरा अनुसार पूजन अर्चन एवं दीपदान किया गया। माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसी मान्यता है कि वैकुंठ चतुर्दशी के दिन दीपदान करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। घर में खुशहाली बनी रहती है। इसके अलावा, जीवन में आने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।