शादी के बाद भी बेटियों का बराबर का हक रहेगा बरकरार
नई दिल्ली। सरकार ने संपत्ति अधिकारों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब पिता स्वअर्जित संपत्ति का बटवारा अपनी मर्जी से कर सकेंगे। संताने उन्हें इसके लिए बाध्य नहीं कर सकेंगी ।
इन नए नियमों का मुख्य उद्देश्य माता-पिता के अधिकारों की रक्षा करना और बेटे-बेटियों के बीच समानता लाना है। इन बदलावों से माता-पिता की स्वयं अर्जित संपत्ति पर बच्चों का अधिकार समाप्त हो जाएगा। जिससे वे अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति का उपयोग कर सकेंगे
(नियम विवरण
स्वयं अर्जित संपत्ति माता-पिता की इच्छा पर निर्भर
पैतृक संपत्ति बेटियों को बराबर हिस्सा मिलेगा
संपत्ति का बंटवारा सभी सदस्यों को समान अधिकार
नए नियम लागू होने की तारीख 2024 के शुरुआत से
संपत्ति हक की अवधि बेटों का हक समाप्त, बेटियों का शादी के बाद भी बना रहेगा
संयुक्त परिवार सभी सदस्यों का समान अधिकार
शादी के बाद का अधिकार बेटियों को शादी के बाद भी संपत्ति पर हक मिलेगा)
माता-पिता चाहें तो अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को भी दे सकते हैं।
यदि माता-पिता बिना वसीयत किए मर जाते हैं, तभी बच्चों को यह संपत्ति मिलेगी।
यह नियम माता-पिता के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें अपनी कमाई की संपत्ति के बारे में निर्णय लेने की आजादी देता है।
संयुक्त परिवार की संपत्ति पर सभी सदस्यों का बराबर अधिकार होगा।
इस संपत्ति के बंटवारे में सभी सदस्यों की सहमति जरूरी होगी।
किसी एक सदस्य को दूसरों के हिस्से से वंचित नहीं किया जा सकता।
संयुक्त संपत्ति के बेचने या किराए पर देने के लिए सभी सदस्यों की अनुमति चाहिए।
वसीयत का महत्व
नए कानून में वसीयत के महत्व को बढ़ाया गया है:)
माता-पिता की वसीयत को सर्वोपरि माना जाएगा।
वसीयत में दी गई संपत्ति पर बच्चों का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।
वसीयत के खिलाफ कोर्ट में चुनौती देना मुश्किल होगा।
वसीयत न होने पर ही कानूनी उत्तराधिकार लागू होगा।
बच्चों की जिम्मेदारी
नए कानून में बच्चों की जिम्मेदारियों पर भी जोर दिया गया है:
माता-पिता की देखभाल न करने वाले बच्चों के संपत्ति अधिकार सीमित किए जा सकते हैं।
माता-पिता अपनी वसीयत में ऐसे बच्चों को संपत्ति से वंचित कर सकते हैं।
कोर्ट भी ऐसे मामलों में बच्चों के हक को सीमित कर सकता है।
( किन परिस्थितियों में बच्चों को संपत्ति में हक नहीं मिलता?
जब माता-पिता ने अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को दान कर दिया हो।
यदि माता-पिता ने अपनी संपत्ति का बंटवारा अपने जीवनकाल में ही कर दिया हो।
अगर माता-पिता ने अपनी संपत्ति के लिए वसीयत लिख दी हो जिसमें बच्चों को शामिल न किया गया हो।
यदि कोई बच्चा धर्म परिवर्तन कर लेता है (कुछ धार्मिक कानूनों के अनुसार)।
अगर किसी बच्चे ने अपने माता-पिता की हत्या की हो या उसमें शामिल रहा हो।
इन परिस्थितियों में बच्चों के संपत्ति अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।)
नए नियमों से पारिवारिक विवादों में कमी आएगी और सभी को न्यायसंगत संपत्ति का हक मिलेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि माता-पिता अपनी कमाई की गई सम्पत्तियों का उपयोग स्वतंत्र रूप से कर सकें और बेटियों को उनके पैतृक सम्पत्तियों में बराबरी का हिस्सा मिल सके।