फर्जी नियुक्ति पत्र के सहारे तैनाती का प्रयास, मामला दर्ज
विभागीय मिली भगत का अंदेशा हो सकते हैं और भी खुलासे
गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से फर्जी नियुक्ति का एक सनसनी मामला प्रकाश में आया है। अलग-अलग तीन तारीखों में फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर जालसाजों ने 13 फॉर्मासिस्टों की तैनाती जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में करवा दी। लेकिन जब मंगलवार को इनकी ज्वाइनिंग होनी थी, तब मामला प्रकाश में आया।आनन-फानन में नियुक्ति पत्रों की जांच कराई गई तो सब पर फर्जी मिले। इसके बाद मामला दर्ज कराया गया। इस फर्जी बारे में विभागीय मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
जानकारी के अनुसार 26 अक्तूबर, नौ नवंबर और 11 नवंबर को सीएमओ कार्यालय से नियुक्ति पत्र जारी किए गए। 11 नवंबर को जारी पत्र पर पांच और नौ नवंबर व 26 अक्तूबर वाले पत्र पर चार-चार लोगों को फॉर्मासिस्ट पद पर चयनित करते हुए नियुक्ति पत्र जारी किए गए।
इनकी नियुक्ति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर दर्शाई गई। जालसाज ने सबकी नियुक्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत 31 मार्च 2025 के लिए दर्शाई। इस फर्जी नियुक्ति पत्र पर यह भी लिखा गया कि मार्च में इनके कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए सत्र 2025-26 के नवीनीकरण पर विचार किया जाएगा। इन सभी को एक सप्ताह के अंदर तैनाती स्थल पर ज्वाइन करने का निर्देश भी दिया गया।
फर्जी नियुक्ति पत्र पर नियुक्ति पाने वालों में तीन सिद्धार्थनगर, दो कुशीनगर, दो महराजगंज, दो गोरखपुर, दो बस्ती और एक प्रयागराज और एक देवरिया के हैं।
इनके नाम हैं नियुक्ति पत्र पर
कु. शशिकला सिद्धार्थनगर, रुद्रेश सिंह सिद्धार्थनगर, प्रियांशु द्विवेदी इलाहाबाद, पंकज कुमार गौतम बस्ती, विद्यानिवासी भारती सिद्धार्थनगर, पंकज कुमार बस्ती, रुद्रेश सिंह गोरखपुर, मो. अशफाक महराजगंज, रोहित राजेश चौरसिया गोरखपुर, पुनीता चौहान कुशीनगर, शादाब अली महराजगंज, अमित कुमार चौहान देवरिया, अनुप्रिया दुबे, कुशीनगर।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि संज्ञान में आया कि किसी ने मेरे फर्जी हस्ताक्षर से तीन अलग-अलग तारीखों में फॉर्मासिस्टों की नियुक्ति करते हुए उनकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनाती भी कर दी है। प्रारंभिक जांच कराई गई तो इस पर फर्जी पत्रांक संख्या और मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। एडिशनल सीएमओ डॉ. एके चौधरी ने इस संबंध में कोतवाली में केस दर्ज कराया है। पुलिस की जांच में पता लगेगा कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किसने और कैसे किया।