जौनपुर। अनादि काल से पूज्यनीय गोमाता, जीवन और जीविका की आधार एवं सम्पूर्ण सृष्टि की पालक हैं, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उन्नयन की कारक हैं। उक्त विचार पिंजरापोल पशु अनाथालय ढालगर टोला के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित गोपाष्टमी महोत्सव एवं संगोष्ठी गोवंश की मानव जीवन में उपयोगिता विषय पर मुख्यवक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर गुरुप्रसाद सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष- गोरक्षा विभाग, विश्व हिन्दू परिषद एवं निदेशक राष्ट्रीय दुग्ध विकास प्राधिकरण ने कही।
उन्होंने भारतीय संस्कृति में, कृषि में, औषधि में गोमाता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्यअतिथि रमेश चन्द्र मिश्र, विधायक ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा संचालित गौशाला के उन्नयन एवं योजनाओं के बारे विस्तार से चर्चा करते हुए उपस्थित जनसमुदाय से गोपालन, गो-सेवा व गो-रक्षा का प्रण लेने का आवाह्न किया।
समारोह में रामचन्द्र सुरेन्द्र प्रताप सिंह डा. क्षितिज शर्मा, नंदलाल यादव शशांक सिंह श्रानूश् आदि ने गोवंश के संरक्षण एवं गौशाला की विकास पर अपनी बातें कही।
पिंजरा पोल पशु अनाथालय समिति के सचिव श्याम मोहन अग्रवाल ने गौशाला की सौ वर्षों की यात्रा का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि 1923 में स्थापित यह गौशाला अपने सीमित संसाधनों एवं जनमानस के सहयोग से संचालित है। वर्तमान में इस गौशाला में 56 (छप्पन) गोवंश है जिसमें 16 (सोलह) गोवंश दुधारू हैं। अध्यक्ष गोपालकृष्ण हरलालका एवं सचिव श्याममोहन अग्रवाल ने मंचासीन अतिथियों को अंगवस्त्रम् एवं स्मृतिचिन्ह तथा मुख्य अतिथि द्वारा गौशाला के सतत् विकास में समर्पित दिनेश प्रकाश कपूर एवं गोपालकृष्ण हरलालका को अंगवस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया।