उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कानूनी रूप से पहले से ही विवाहित दो लोगों के बीच संबंध को ऐसा काम नहीं माना जा सकता जिसके लिए कानूनी सुरक्षा उपलब्ध है। अदालत ने कहा, विवाहित महिला शादी के झूठे बहाने पर दुष्कर्म का मुकदमा नहीं चला सकती। अदालत ने दुष्कर्म के एक मामले को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दो व्यक्ति शादी करने के बावजूद एक-दूसरे के साथ सहमति संबंध में रह रहे थे।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि एक अविवाहित महिला शादी के झूठे बहाने पर संबंध बनाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करवा सकती है लेकिन जब पीड़िता खुद किसी अन्य साथी से मौजूदा विवाह के कारण कानूनी तौर पर किसी और से शादी करने के योग्य नहीं है, तो वह शादी के झूठे बहाने के तहत संबंध बनाने के लिए प्रेरित होने का दावा नहीं कर सकती है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे में धारा 376 के तहत उपलब्ध सुरक्षा उस पीड़िता को नहीं दिए जा सकते जो कानूनी तौर पर उस व्यक्ति से शादी करने की हकदार नहीं है जिसके साथ वह संबंध में थी। आईपीसी की धारा 376 के तहत तभी मामला बनाया जा सकता है, अगर पीड़िता यह साबित कर सके कि उसे दूसरे पक्ष द्वारा शादी के झूठे बहाने के तहत यौन संबंध बनाने के लिए प्रेरित किया गया था, जो कानूनी रूप से ऐसे व्यक्ति के साथ शादी करने के लिए पात्र है। एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला ने आरोप लगाया कि उस व्यक्ति ने शादी का झांसा देकर उसके साथ संबंध बनाए। एफआईआर धारा 376, 323, 506, 509 और 427 के तहत दर्ज की गई थी।