रिमोट मेमोरी लॉस है खतरनाक अवस्था
जौनपुर। शुरू – शुरू में छोटी-मोटी बातें भूलने की शिकायत रहती है। अगर ऐसा हो रहा है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है। दूसरी अवस्था रिसेंट पास्ट मेमोरी में पिछले एक सप्ताह पहले की बातें भूल सकती हैं लेकिन यहीं बीमारी जब तीसरे यानी रिमोट मेमोरी लॉस अवस्था में पहुंच जाती है तो पीड़ित अपने घर और परिजनों की पहचान भूल जाते हैं। जनपद के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. दिनेश पांडे का यह कहना है । वजह बताते हुए डॉक्टर पांडे कहते हैं कि सृजनात्मक और शारीरिक क्रियाकलाप से दूरी बुजुर्गों में अल्जाइमर की शिकायत को बढ़ा रही है। इससे बचने के लिए हरी साग-सब्जियों, मछली के सेवन के साथ ही उंगलियों की गिनती का अभ्यास करना चाहिए
60साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में वैस्कुलर और अल्जाइमर डिमेंशिया की है शिकायत की शिकायत लगातार मिल रही हैं।
जवानी में नशाखोरी के साथ शारीरिक श्रम में शिथिलता बुढ़ापे में भूलने की बीमारी का वजह बन रही है। शुरुआती दिनों में अनदेखी गंभीर बीमारी का रूप धारण कर ले रही है। 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में भूलने की शिकायत दिनोंदिन बढ़ रही है। जो अपने बेटे, बहू, नाती-पोते की पहचान नहीं कर पा रहे हैं। बुजुर्गों की इस समस्या को डॉक्टर गंभीर बीमारी वैस्कुलर डिमेंशिया और अल्जाइमर डिमेंशिया मान रहे हैं। उनका कहना है कि समय से इलाज नहीं कराने से कई बार इन बीमारियों के गंभीर अवस्था में पहुंचने पर बुजुर्ग अपने घर और परिवार की पहचान तक खो दे रहे हैं।
डॉ दिनेश पांडे के अनुसार वैस्कुलर डिमेंशिया के मरीजों के दिमाग की नसों के कमजोर पड़ने से बुजुर्गों की याददाश्त कमजोर हो जा रही है। दूसरी ओर, अल्जाइमर डिमेंशिया के मरीजों में दिमाग की नस में एमाइलॉइड प्रोटीन के इकह्वा होने की वजह से उनमें भूलने की शिकायत बढ़ रही है। यह दोनों बीमारी युवावस्था में नशे के सेवन, शारीरिक और मानसिक क्रिया कलापों से दूर होने की वजह से उम्र बढ़ने पर हो रही है। अगर किसी परिवार में ऐसे बुजुर्ग हैं जिनकी याददाश्त दिनोंदिन कमजोर पड़ रही है तो उन्हें घर से बाहर अकेले न निकलने दें। क्योंकि कई मामलों में ऐसे बुजुर्ग अपने घर का रास्ता या पहचान भूल जाते हैं।