● एक राष्ट्र-एक पता के तहत बनेगा डिजिटल एड्रेस कोड, बिहार के मुंगेर से शुरू हुआ प्रोजेक्ट ।
पूरे देश में स्थाई पता को डिजिटल करने का काम शुरू हो गया है। यूनिक कोड नंबर के पर आपका पता दर्ज होगा और वही आपके पते की पहचान होगी।एक राष्ट्र-एक पता के तहत डिजिटल एड्रेस कोड बनाने की प्रक्रिया बिहार के मुंगेर से शुरूहो गई।
अब कहीं भी लंबा पता लिखने के झंझट से जल्द छुटकारा मिलने वाला है। अब आधार नंबर की तरह पते का यूनिक कोड होगा। इसे डिजिटल एड्रेस कोड के नाम से जाना जाएगा। बिहार में डाक विभाग की ओर से पायलट फेज के तहत पते सत्यापन शुरू हो गया है।
डिजिटल एड्रेस कोड से पते के लिए एक यूनिक कोड बनाया जाएगा। जिस तरह भारत के नागरिक की पहचान आधार कार्ड से की जाती है। उसी प्रकार पते की पहचान डिजिटल एड्रेस कोड से मिलेगी। यूनिक कोड बनने से कई तरह के लाभ होंगे। – मनोज कुमार, डाक महाध्यक्ष, पूर्वी प्रक्षेत्र।
पायलट फेज में सबसे पहले यह कार्य बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर से किया जा रहा है। इसमें घर, कार्यालय, संस्थान, अस्पताल समेत अलग-अलग जगहों का अलग-अलग कोड तय होगा। इसकी खास बात होगी कि पते का सत्यापन भोगौलिक निर्देशांक द्वारा किया जाएगा। सत्यापन के बाद 12 अंकों का डिजिटल एड्रेस कोड जारी किया जाएगा।
डिजिटल एड्रेस कोड मिलने से लोगों को कहीं भी लंबा पता डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब तक लोग पते की जानकारी देने के लिए घर संख्या, गली संख्या, फ्लैट संख्या, पिन कोड, पते तक पहुंचने के लिए स्थल चिह्न आदि की जानकारी देते थे। अब 12 डिजिट के कोड डालने के साथ ही उनके पते का पूरा ब्योरा आ जाएगा। इसके साथ ही पते का क्यूआर कोड भी बनाया जाएगा, जिसको स्कैन कर लोग पते की जानकारी ले सकेंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार की एक राष्ट्र-एक पता परियोजना के तहत डिजिटल एड्रेस कोड बनाने की पहल की जा रही है। इसकी शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर से की जा रही है। इसके लिए डाक विभाग को जिम्मेवारी सौंपी गई है। डाक विभाग के कर्मचारी घर-घर जाकर पते का सत्यापन करेंगे और फिर भोगौलिक निर्देशांक से पते को लिंक करेंगे। इसके बाद पते का 12 अंकों का यूनिक कोड जारी होगा। डाक महाध्यक्ष पूर्वी प्रक्षेत्र मनोज कुमार ने बताया कि भोगौलिक निर्देशांक से पते को लिंक करने के बाद पता डिजिटल हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक लोगों का पता मैनुअल होता था। लोग हर जगह पता लिखते थे। अब पते की जगह 12 अंकों का कोड डाल सकेंगे। उन्होंने बताया कि यदि एक अपार्टमेंट में 15 फ्लैट हैं तो सभी फ्लैट के लिए अलग-अलग कोड होगा। कहा कि इससे पते पर होने वाले फर्जीवाड़ा रोकने, कम समय में सही पते पर पार्सल पहुंचाने, ऑनलाइन ई-केवाइसी कराने, बैंकिंग, संपत्ति कर भरने, टेलीकॉम और किसी भी कार्य में ऑनलाइन पते का सत्यापन करने में आसानी होगी। इसके साथ गणना, चुनाव प्रबंधन, किसी प्रकार के सर्वे आदि में डैक से लाभ मिलेगा।