शहर में सज गई राखी की दुकानें, खरीदारों की उमड़ रही भीड़
जौनपुर। रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाने वाला पर्व है। इस वर्ष यह पर्व 30 या 31 अगस्त को मनाया जायेगा। मुहूर्त देखकर इस पर्व पर बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है। भाई भी सामर्थ्य अनुसार बहन को ऊपहार या भेट के लिए कुछ न कुछ देता है। रक्षाबंधन का अर्थ है राखी बांधकर भाई को बहने अपनी रक्षा के लिए एक संकल्प कराती है। राखी का यह पवित्र पर्व अगस्त महीने मे आता है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को दक्षिण भारत मे नारियल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन का इतिहास बहुत पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार देवताओ के राजा इंद्र दानवो से बार बार युद्ध मे पराजित हो जाते थे उस समय उनकी पत्नी इन्द्राणी ने घोर तपस्या कर दिव्य शक्तियों वाला कवच रक्षा सूत्र इन्द्र की कलाई मे बॉध दिया था जिससे वे दानवों पर विजय प्राप्त कर सके और किसी भी मुश्किल का सामना करने की सामर्थ्य उनमे आ जाए। तब से यह प्रथा चल पड़ी इससे यह बात स्पष्ट है कि कोई भी महिला या पुरुष किसी भी महिला या पुरुष की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसकी शक्ति बढाए और विपत्तियों से बचाए। एक कथा है कि मेवाण को सुल्तान बहादुर शाह से बचाने के लिए चित्तोणगढ़ की विधवा महारानी कर्णावती ने सम्राट हुमाऊॅ को भाई मानकर राखी भेजी और अपने रक्षा के सकंल्प को याद दिलाया। हुमायूं भी बहन की पुकार पर उसकी रक्षा के लिए विशाल सेना लेकर चल पड़ा लेकिन कुछ देर हो जाने से रानी ने अपनी सखियो और दासियो के साथ जौहर कर आत्मसम्मान की रक्षा की। हुमाऊॅ को जब पता चला तो उसने बहन के रक्षा के लिए उसकी राख से संकल्प लेकर सुल्तान बहादुर शाह को युद्ध में पराजित कर बहन को दिए वचन निभाया। राखी के पर्व का लोप होना समाज का दोष माना जाएगा। भाई-बहन के इस प्रेम रूपी त्योहार से समाज को अच्छी सीख मिलती है।