नयी दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देते हुए कहा कि विवाह से इतर गर्भधारण खतरनाक हो सकता है। पीड़िता 27 हफ्ते की गर्भवती है। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भूइयां ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करना सही नहीं था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि भारतीय समाज में विवाह संस्था के भीतर गर्भावस्था न सिर्फ दंपति, बल्कि उसके परिवार और दोस्तों के लिए खुशी और जश्न का मौका होता है। इसके विपरीत विवाह से इतर खासकर यौन उत्पीड़न या यौन हमले के मामलों में गर्भावस्था खतरनाक हो सकती है। ऐसी गर्भावस्था न केवल गर्भवती महिलाओं के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, बल्कि उनकी चिंता एवं मानसिक पीड़ा का कारण भी होती है।
नाबालिग की पीट-पीटकर हत्या के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर
प्रदेश के बरेली जिले में 17 वर्षीय एक मुस्लिम लड़के को पीट-पीट कर मार डालने के आरोप में चार महीने बाद पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
लड़के के पिता द्वारा पुलिस द्वारा सीधे एफआईआर दर्ज कराने में विफल रहने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश पर 17 अगस्त को बरेली के कैंट पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है. घटना के वक्त बरेली पुलिस का कहना था कि किशोर अरकान अली की मौत एक दुर्घटना में हुई थी.
पिता पप्पू कुरैशी की शिकायत पर बिथरी चैनपुर थाना प्रभारी (एसएचओ) अश्विनी कुमार चौबे, सब-इंस्पेक्टर धर्मेंद्र कुमार, कॉन्स्टेबल राजेश और विपिन कंडवाल तथा होम गार्ड वीरपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. उन पर गैर-इरादतन हत्या, जबरन वसूली, आपराधिक साजिश, गलत तरीके से रोकना और डकैती करते समय जान-बूझकर चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं.
पप्पू कुरैशी का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ उनके बेटे के साथ बर्बर तरीके से मारपीट की थी, बल्कि उससे 30,400 रुपये भी लूट लिए थे.
यह घटना 17 अप्रैल को हुई थी, जब अरकान एक मांस फैक्ट्री ‘मारिया फ्रोजन’ में उस भैंस के लिए पैसे लेने गए थे, जिसे उन्होंने वहां पहुंचाया था. कुरैशी का कहना है कि उन्होंने रात 11:30 बजे तक अरकान का इंतजार किया और उनके मोबाइल पर कॉल किया.
अरकान ने उन्हें बताया कि उन्होंने भैंस के बदले पैसे ले लिए हैं और घर आ रहे हैं. कुरैशी ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा, फिर रात 11:45 बजे उन्हें अपने बेटे के मोबाइल फोन से कॉल आया, लेकिन किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनसे बात की.
एफआईआर में कहा गया है कि फोन के दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने खुद को पुलिसकर्मी बताया और कुरैशी से कहा कि वह 50,000 रुपये लेकर जल्दी से मौके पर पहुंचे, नहीं तो उनके बेटे पर गोहत्या के आरोप में मामला दर्ज कर दिया जाएगा.
इससे कुरैशी घबरा गए और उन्होंने तुरंत अन्य लोगों को बुलाया और बरेली के कैंट के बिलाल मस्जिद क्षेत्र की ओर भागे. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर, कॉन्स्टेबल और होम गार्ड को उनके बेटे को बेरहमी से पीटते देखा.
कुरैशी ने कहा, ‘वह खून से लथपथ जमीन पर पड़ा हुआ था.’ उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर एक सफेद कार और एक मोटरसाइकिल खड़ी थी.
कुरैशी के अनुसार, ग्राम प्रधान के फोन पर कॉल करने के बाद बिथरी चैनपुर एसएचओ अश्विनी कुमार चौबे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि एसएचओ ने पुलिसकर्मियों का बचाव किया और धमकी दी कि अगर वे बहस करते रहे तो उनके गांव में आग लगा दी जाएगी और उन्हें गोली मार दी जाएगी.
बीते 4 मई को स्थानीय अदालत में सीआरपीसी 156 (3) के तहत दायर अपने आवेदन में कुरैशी ने एक वीडियो प्रस्तुत किया, जिसके बारे में उनका कहना है कि इसे स्थानीय लोगों ने शूट किया था और इसमें पुलिस अधिकारी कथित तौर पर उन्हें धमकी देते हुए दिख रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बेटे की मौत पिटाई से हुई है और उन्होंने एसएचओ पर साजिश का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया था कि अरकान की मौत सिर में चोट लगने से हुई, लेकिन चोट की वास्तविक प्रकृति या सटीक कारण पर कोई स्पष्टता या पुष्टि नहीं है.
कुरैशी ने कहा कि शव परीक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि उनके बेटे के शरीर पर ‘16 चोटें’ थीं।