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एम्स में सुरक्षित ‘फीमेल एग’ दूसरी महिलाओं को प्रत्यारोपित किए

आईसीएमआर गाइडलाइन के मुताबिक इन नियमों के उल्लघंन का आरोप

जानिए क्या है नियम

● महिलाओं के अंडे दान करने से पहले अनुमति लेना जरूरी है। यहां महिला को जानकारी नहीं दी गई

● अंडे प्राप्त करने वाली महिला को भी बताना होता है कि अंडे दान से प्राप्त हुए हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया#

● अंडे दान करने वाली महिला अपने जीवन में एक ही बार अंडे दान कर सकती है और वो भी 7 से ज्यादा नहीं। इस मामले में महिला के 14 अंडे लिए गए

नई दिल्ली। एम्स दिल्ली आईवीएफ केंद्र में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एम्स की एक डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर एक महिला को बिना बताए उसके अंडे दो अन्य महिलाओं के गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किए।

सूत्रों ने बताया कि इस मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एम्स के प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर नीता सिंह को चेतावनी जारी की है। सूत्र बताते हैं, इससे पहले दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने अपने आदेश में डॉक्टर नीता सिंह का लाइसेंस एक महीने के लिए निलंबित करने का आदेश दिया था। सूत्रों ने बताया कि डॉक्टर नीता ने एनएमसी के सामने इस फैसले पर अपील की थी।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल को मिली शिकायत के मुताबिक, एम्स में अगस्त 2017 में आईवीएफ के जरिए मां बनने आई सुनीता (बदला नाम) के 30 अंडे आईवीएफ के लिए रखे गए। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर नीता सिंह ने एंब्रियोलोजिस्ट से 30 अंडों में से 14 अंडे लिए और सात-सात अंडे दो अलग-अलग महिलाओं के लिए भ्रूण बनाने में इस्तेमाल किए। इन अंडों को दो अन्य महिलाओं के पति के स्पर्म के साथ निषेचित किया और फिर आईवीएफ में तैयार हुए ये भ्रूण उन महिलाओं के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिए गए। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल को शिकायत मिली कि इस बारे में उस महिला को जानकारी नहीं दी गई, जिसके अंडे लिए गए हैं और न उन महिलाओं को बताया गया, जिनके गर्भधारण के लिए अंडे प्रत्यारोपित किए गए। दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टर नीता सिंह का लाइसेंस एक महीने के लिए निलंबित करने का आदेश दिया था।

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Author: fastblitz24

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