पुलिस लाइन से लेकर थाना चौकी पर अटे पड़े हैं पुराने वाहन, लेकिन अब
खत्म होगा वाहनों का कबाड़
जौनपुर । अब कानून बनाकर थाने-चौकियों से वाहनों के कबाड़ हटाने का भी इलाज किया जा रहा है। मात्र वीडियो के रूप में वाहनों का सबूत बनाकर रखने के बाद उन्हें नष्ट किया जा सकेगा। लोकसभा में पेश किए गए प्रस्ताव में इस तरह का प्राविधान किया गया है। इसके कानून बनते ही पुलिस का सिरदर्द खत्म हो जाएगा। एक अनुमान के अनुसार जनपद में करीब 5000 से अधिक कबाड़ वाहनों का निस्तारण किया जा सकेगा।
यह है महंगे और कीमती वाहनों की हालत
पुलिस की अभिरक्षा में खड़े हैं। इन वाहनों पर धूल की मोटी परत जम गई है। कई वाहनों के कल पुर्जे गायब हो चुके हैं। जलालपुर, जफराबाद, लाइनबाजार, बक्शा, बदलापुर, सिंगरामऊ, शाहगंज, मुंगराबादशाहपुर जैसे हाईवे के थानों में वाहनों का अंबार लगा है। गर्मी, बारिश को झेलते हुए इन तमाम वाहनों की ऐसी दशा हो चुकी है कि वाहन स्वामी को भी पहचानने में मुश्किल होगी। ऐसे वाहनों की सुरक्षा भी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। थानों में खड़े भारी वाहनों की बैट्री और इंजन से भी कीमती सामान गायब हो गए हैं।
अभी तक मुकदमों से संबंधित वाहन मुकदमों के निस्तारण न होने तक पुलिस के पास रखे रहते हैं। मुकदमों के निस्तारण में सालों लग जाते हैं। थाने-चौकियों में रखे-रखे वाहन कबाड़ हो जाते हैं। जब उनके निस्तारण का समय आता है तो वे कौड़ियों के भाव जाते हैं। ऐसा नहीं है कि वाहनों के निस्तारण के संबंध में पहले आदेश नहीं हुए हैं, मगर वे व्यावहारिक नहीं थे। इसलिए अमल में नहीं लाए जा सके।
इनके लागू होने पर पुलिस की कई जटिल समस्याओं का निस्तारण हो जाएगा। वाहन सुरक्षित नहीं रखे जाएंगे। उनके फोटो और वीडियो से काम चलेगा। डिजिटलाइजेशन पर जोर है। सजा पर नहीं न्याय पर जोर है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशियों की शुरुआत हो चुकी है। इसे नियमित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के समय बने कानून में संशोधन जरूरी था। लंबे समय से इसकी मांग थी। हर बदलाव से शुरू में दिक्कत भी सामने आती हैं। इसमें भी आएंगी। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। समय पर माल का निस्तारण नहीं होने से पुलिस के सामने कई जटिल समस्याएं आती हैं। मालखाने का चार्ज देने में महीनों लग जाते हैं। बता दें कि गृह मंत्री शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए हैं। इनके दोनों सदनों में पास होने के बाद और राष्ट्रपति की मुहर लगते ही कानून बनते ही आपराधिक दंड संहिता में आमूलचूल बदलाव होंगे। इस बात का जिक्र किया गया कि थाने में कबाड़ हो रहे वाहनों का किस तरह निस्तारण किया जाएगा। वर्तमान में थाने-चौकी मुकदमों से संबंधित वाहनों से अटे पड़े हैं। उन्हें रखने की जगह तक कम पड़ती है। सड़कों पर पुलिस का अतिक्रमण है। नए विधेयकों के कानून बनने से पुलिस को भी बड़ी राहत मिलेगी।
यह भी है एक वजह
जौनपुर। कई बार पुलिस चोरी के वाहन बरामद करती है लेकिन उनका कोई दावेदार नहीं होता। दरअसल वाहन चोरी के मामलों में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद वाहन स्वामी रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद बीमा कंपनी से उसका क्लेम पास करवा लेते हैं। ऐसे में उस वाहन की बरामदगी के बाद भी उसका कोई वारिस नहीं होता। इसकी वजह से थानों में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
शहर के अधिकतर थानों में यह दृश्य आम है। इससे कहीं अधिक वाहन पुलिस लाइन मैदान में कबाड़ हो चुके हैं।