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जनप्रतिनिधियों के अनदेखी के कारण उपेक्षा का शिकार हुआ दो जिलों को जोडऩे वाला पुल

23 वर्ष पूर्व बने इस पुल को नजरे ए इनायत की दरकार

23 वर्ष पूर्व बसपा सरकार में मिली थी पुल की स्वीकृति

22 लाख की लागत से शुरू हुआ था पुल निर्माण कार्य

सुरेरी (जौनपुर)। एक तरफ जहां जनप्रतिनिधि अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों को गिनाने व अपने ही हाथो अपनी पीठ थपथपाने में जरा भी नहीं थकते वही दूसरी तरफ क्षेत्रीय लोगो द्वारा जनप्रतिनिधियों को समस्याओं से अवगत कराने के बाद भी उन समस्याओं पर किसी भी जनप्रतिनिधि की नजर नहीं पड़ती। इसकी एक बानगी विकासखंड रामपुर के वरुणा नदी के तट पर छेरहटी घाट पर बने पुल को देखा जा सकता है। जहां 23 वर्ष पूर्व दो जिलों को जोडऩे वाला बना यह पुल आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। 23 वर्ष बीतने के बाद भी कई राजनैतिक पार्टियों की सरकार आई और चली गई, वही ऐसी राजनीतिक पार्टियों के जनप्रतिनिधि अपने अपने क्षेत्रों में तमाम विकास के दावे भी करते रहे और विकास को लेकर अपने ही हाथों अपनी पीठ भी थपथपाते रहते हैं। लेकिन उसके बावजूद 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी बने इस पुल पर किसी भी जनप्रतिनिधि की नजर नहीं पड़ी। 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह पुल रेलिंग बिहीन व उपेक्षित पड़ी हुई है। जौनपुर जिले के आखिरी छोर पर बने इस पुल से लगभग 50 गांवो के लोग भदोही जाने के लिए इस पुल से होकर गुजरते हैं लेकिन पुल की स्थिति दयनीय होने व रेलिंग विहीन होने के कारण खतरे की आशंका बनी रहती है। सन 2000 में बसपा सरकार में तत्कालीन मंत्री रहे वंश नारायण पटेल के अथक प्रयास के बाद इस पुल की स्वीकृति मिली थी। जिसे 22 लाख की लागत से निर्माण कार्य को शुरू कराया गया था लेकिन 23 वर्ष पूर्व निर्मित यह पुल आज भी उपेक्षित पड़ी हुई है। वही किसी भी राजनैतिक पार्टियों के जनप्रतिनिधियों की नजर इस पुल पर नहीं पड़ी। गांव के अच्छेलाल पांडे, राम पांडे, लालजी पांडे, अभय सिंह, श्याम पांडे, चिंटू पांडे, मिंटू पांडे, पूर्व प्रधान शेषमन सरोज सहित ग्रामीणों ने उपेक्षित पड़े पुल के मरम्मत की मांग की है। इस संदर्भ में मडिय़ाहूं विधायक डॉ आर के पटेल ने बताया कि क्षेत्रीय लोगों को जल्द ही इस समस्या से भी निजात मिल जाएगा।

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Author: fastblitz24

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