पिछले छह साल से फरार चल रही थी सरगना
भागलपुर, हिटी। राज्य के बहुचर्चित सृजन घोटाले की सरगना रजनी प्रिया को सीबीआई ने दिल्ली के पास गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके से गुरुवार सुबह गिरफ्तार कर लिया। राजेंद्र नगर के वेद इन्क्लेव से गिरफ्तारी के बाद उसे गाजियाबाद की विशेष अदालत में पेश किया गया। यहां से सीबीआई को उसे दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर बिहार लाने की अनुमति मिल गई। रजनी भागलपुर की सृजन सहयोग समिति की संस्थापक स्वर्गीय मनोरमा देवी की बहू है।
सीबीआई की टीम रजनी प्रिया को लेकर गुरुवार की शाम नई दिल्ली से तेजस एक्सप्रेस से पटना के लिए रवाना हो गई। संभवत शुक्रवार को उसे पटना कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके बाद उसे भागलपुर ले जाया जाएगा। वहां उससे घोटाले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर पूछताछ की जाएगी। इस मामले में रजनी प्रिया मुख्य आरोपित है। सृजन घोटाले का खुलासा 2017 में होने के बाद राज्य सरकार की अनुशंसा पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी। तभी से वह फरार थी। इस बीच, सीबीआई ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अब तक की जांच में सृजन में एक हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इसमें 24 मामले दर्ज किये गए हैं।
रजनी का दावा-पति अमित की मौत हो गई
मनोरमा देवी की मौत के बाद सृजन की बागडोर रजनी प्रिया ने पति अमित कुमार के साथ संभाली थी। सृजन की सचिव होने के नाते रजनी 23 मामलों में आरोपी बनाई गई है। घोटाले का खुलासा होने के बाद वह पति और दो बच्चों के साथ फरार हो गई थी। पूछताछ में उसने बताया कि फरारी की अवधि में पति की मौत हो गई। हालांकि सीबीआई इसकी हकीकत पता कर रही है। सीबीआई रजनी से इस बारे में भी पूछताछ करेगी। क्योंकि, अमित भी मुख्य अभियुक्त है और उसके संबंध कई सफेदपोशों व अधिकारियों से थे।#
●1000 करोड़ रुपए पहुंची घोटाले की राशि सीबीआई के अनुसार
● गाजियाबाद कोर्ट में पेशी के बाद दो दिन का ट्रांजिट रिमांड मिला सीबीआई को
● सीबीआई ने अब तक 24 केस दर्ज किए, रजनी प्रिया 23 मामलों में आरोपित
सुरजन घोटाला एक नजर
सृजन घोटाले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया के खिलाफ 23 मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। इससे पहले वह कई मुकदमों में फरार घोषित की जा चुकी है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव होने के नाते रजनी तमाम प्राथमिकी में आरोपी बनाई गई हैं। सीबीआई के अलावा ईडी ने भी उनके खिलाफ पांच मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मुकदमा किया है
गैर-सरकारी संस्थान सृजन सहकारी सहयोग समिति के नाम से सबौर और भागलपुर के कुछ बैंकों में खाते थे। इन खातों में कुछ सरकारी योजनाओं की अनुदान राशि के अलावा अन्य लेनदेन होता था। 2004 से 2014 के बीच बड़ी संख्या में कई सरकारी खातों से अवैध तरीके से इस संस्थान के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाती थी। सरकारी खाते का फर्जी बैलेंस सीट बनाकर इसमें हमेशा राशि दिखाई जाती थी। इस काम में सरकारी अधिकारी से लेकर बैंक अधिकारी और अन्य कर्मियों की मिली भगत रहती थी। यह राशि अलग-अलग तरीके से लोगों को व्यवसाय या धंधे के लिए दी जाती थी। इस सरकारी राशि को ये लोग ब्याज पर भी बाजार में कुछ लोगों को देते थे।