नगर वासियों के लिए अमृत जल योजना बन गई है हलाहल विष का कलश
जौनपुर। बेशक समुद्र मंथन में निकले हलाहल विष को जन कल्याण के लिए स्वयं भगवान भोलेनाथ ने पी लिया रहा हो , लेकिन नगर में जन कल्याण के नाम पर चलाई जा रही बहु प्रचारित अमृत जल योजना के लिए नगर के मुख्य मार्गों से लेकर गली मोहल्ले तक की सड़कों का जिस तरह से मंथन (खोद कर छोड़ दिया जा रहा है )किया जा रहा है, उससे निकले हलाहल विष को जनता जनार्दन पीने के लिए मजबूर हो गए हैं। इस बहुचर्चित योजना का क्रियान्वन करने के लिए नगर की सड़कों को खोद डाला गया है और उस से निकला मलबा – मिट्टी वही बेतरतीब छोड़ दिया गया है। जिसके कारण बरसात के पानी और नाली के पानी ने मिलकर मलबे को कीचड़ और दलदल बना दिया है।एकत्र पानी के कारण सड़क पर जगह-जगह गिट्टी उखाड़ जाने से मुसीबत की नई वजह “गड्ढे” बन गए हैं इस मलबे और दलदल में फस कर पैदल यात्री से लेकर दो पहिया वाहन चालक तक फिसल और गिर रहें हैं। इस कारण शहर की यातायात व्यवस्था तो प्रभावित हो ही रही है जलजमाव मलबे और कचरे के कारण बने दलदल में बीमारियों की संक्रमण की वजहें भी पल रही है।
एक तरफ नागरिकों को परिवेश स्वच्छ रखने की सलाह दी जाती है। साफ-सफाई के महत्व को बताने के लिए देश में लाखों और वो रुपए विज्ञापन पर खर्च किए जाते हैं। देश का प्रधानमंत्री स्वयं झाड़ू लेकर स्वच्छ भारत का संदेश देने सड़कों पर उतरता है। वही नगर के हालात देखकर “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” का मुहावरा बरबस याद आ जाता है।
पब्लिक मुसीबत में कांट्रेक्टर बचत में।
यह सूत्र वाक्य है मुसीबत इस योजना को क्रियान्वयन करने वाले और उसकी निगरानी रखने वाले जिम्मेदारों का। इसी पर अमल कर मोटा मुनाफा बचाया जा रहा है।
उक्त योजना के तहत मुख्य सड़क से लेकर गलियों तक की खुदाई कर पाईप डालने के बाद सड़क को मिट्टी और गिट्टी डालकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री समझ ली जा रही है। लेकिन निविदा की शर्तों के अनुसार काम कर रही संस्था की जिम्मेदारी है कि वह गड्ढा खोदने के बाद वहां की मलबे को तुरंत हटाए । जिससे जल निकास और यातायात बाधित ना हो सुचारू रूप से चलता रहे । इसके साथ काम करने के दौरान खुले गड्ढे की निगरानी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है काम करने के बाद उस गड्ढे को भरवाना मजबूत करना और उसे यथावत करवाना भी कांट्रेक्टर की जिम्मेदारी का हिस्सा है.
वास्तविकता यह है कि अमृत जल योजना के तहत नगर में चल रहे काम के बाद रास्तों को जिन हालातों में छोड़ा गया है वहां हल्की बरसात होने के बाद र चलना दूभर हो जाता है और खोदे गये गड्ढे पानी के कारण धंसते जा रहे हैं। इसकी जद में बाइक सवार, चार पहिया वाहन के बाद बड़ी बस आ रही है। सोमवार को मछलीशहर पड़ाव पर एक प्राइवेट बस उस वक्त सड़क में धंसने लगी जब वह मिट्टी डालकर छोड़े गए एक गड्ढे के ऊपर से गुजर रही थी । उसका अगला और पिछला पहिया लगभग दो फिट अंदर धंस गया। यह तो संयोग ही था कि बस खाली थी। सवारी न होने के कारण बड़ा हादसा होने से बच गया। बस संचालक ने क्रेन बुलवाकर उसे बाहर निकलवाया।