मातम का मंजर हाय हुसैन-हाय हुसैन की सदाएं
जौनपुर: हाय हुसैन-हाय हुसैन की मातमी सदाओं के बीच शनिवार को सदर इमामबाड़े के गंजे शहीदा में ताजिये सुपुर्दे खाक कर दिए गए। ‘मातम का मंजर हुसैन-हाय हुसैन’ के मातमी नौहे पर लोग ब्लेड और छुरों से खूनी मातम कर रहे थे।
शामे गरीबां की मजलिस चिराग गुल कर हुई। यहां मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना ने कहा कि रोजे अशूरा 61 हिजरी को जब कर्बला के तपते जंगल में इमाम हुसैन के 72 साथी शहीद हो गए तो वे खुद मैदान में पहुंच गए। वहां उनके पहुंचते ही यजीदी खेमे में हड़कंप मच गया। भारी संख्या में उसके सैनिक हलाक हुए। इसी दौरान अल्लाह की आवाज आई ‘ऐ हुसैन बस’। इस पर इमाम हुसैन ने तलवार म्यान में रख ली। यजीदी सेना फिर सिमट गई। इमाम हुसैन पर तीरों की बौछार हो गई तो वे घोडे़ से नीचे गिर गए। इसी दौरान सिम्र नामक जालिम ने तलवार से उनके सिर को धड़ से अलग कर दिया। मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके खेमे की महिलाओं को बंदी बनाकर इधर- उधर बगैर पानी के तड़पाया गया। यह वाक्या सुन लोग अंधेरे में चीखने तथा दहाड़े मारकर रोने लगे। इसके बाद अंजुमन अजादारिया बारादुअरिया ने मातम किया। बाद में लोगों ने फांकासिकनी किया।
इससे पूर्व हाय हुसैन की मातमी सदाओं के बीच नगर के कटघरा, सिपाह, बलुवाघाट, मुल्ला टोला, पुरानी बाजार, कोरापट्टी, मखदूम शाह अढ़न आदि क्षेत्रों के ताजिये गंजे शहीदा में दफन किए गए।
महराजगंज के विभिन्न क्षेत्रों में दसवीं मोहर्रम पर इमाम हुसैन की शहादत चौक से लेकर करबला तक याद किया गया। उनकी याद में मुसलमान अपने शरीर पर युद्ध कला का कौशल दिखाकर घाव लगाए। करबला तक पहुंचने को लेकर इमामे हुसैन व यजीद के बीच प्रतीकात्मक युद्ध होता रहा। राजाबाजार व महराजगंज में अखाड़े के रूप में प्रतीकात्मक युद्ध का प्रदर्शन किया गया।
बदलापुर के चंदन शहीद मार्ग स्थित कर्बला पर सकुशल ताजिये दफन किए गए। क्षेत्र के पुरानी बाजार, फत्तूपुर, भलुवाहीं, सरोखनपुर आदि स्थानों पर ताजिये मातमी धुन के बीच चंदन शहीद मार्ग स्थित कर्बला में दफनाए गए। युवकों ने खतरनाक तरीके से विविध करतब दिखाए।
खुटहन क्षेत्र के कई गांवों में दसवीं मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। सौहर्दपूर्ण माहौल में जंजीर व मातम के साथ इमामबाड़ा इमामपुर में ताजिये दफन किए गए।
सिकरारा क्षेत्र में दसवीं मोहर्रम का जुलूस निकला। कड़ी सुरक्षा के बीच ताजिये दफन किए गए।
शाहगंज नगर के नई आबादी मोहल्ले से दसवीं मोहर्रम का जुलूस निकला। जुलूस में ताजिया व दुलदुल साथ चल रहा था। अंजुमने नौहा मातम कर रही थीं। घासमंडी चौराहा होते हुए जुलूस शाहपंजा पहुंचा। यहां ताजियों को दफन किया गया। मछलीशहर नगर में मोहर्रम पर्व के दौरान स्थापित ताजिये शनिवार को मातमी माहौल में दफन किए गए। सैयड़वाड़ा से निकला जुलूस नगर के निश्चित मार्ग से होता हुआ इमाम सागर पहुंचा जहां मातमी माहौल में ताजियेदारों ने ताजिया दफन किया। उधर, खानजादा के जरी इमामबाड़ा से निकला जुलूस कर्बला के मैदान में पहुंचा। जहां गमजदा ताजियादारों ने नम आंखों से ताजिये को दफन किया। दोनों स्थानों पर ताजियादारों द्वारा शांतिपूर्ण कार्यक्रम सफल होने पर प्रशासन ने राहत की सांस ली।
केराकत, मछलीशहर, बरईपार, सिकरारा, खेतासराय, शाहगंज, चंदवक, मुफ्तीगंज, थानागद्दी, जलालपुर, गौराबादशाहपुर, जमालापुर, रामपुर, मड़ियाहूं, मीरगंज, जंघई सहित जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ताजिये दफन किए गए।
चप्पे-चप्पे पर तैनात रही पुलिस
पूरे जनपद में १० वीं मुहर्रम के जुलुसों को शांति पूर्वक संपन्न कराने के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। जुलूसों के साथ भी भारी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवान चल रहे थे। वहीं संवेदनशील इलाकों में विशेष चौकसी रही। पर्व सकुशल संपन्न होने पर प्रशासन ने राहत की सांस लिया ।
पुलिस अधीक्षक डा0 अजय पाल शर्मा ने मोहर्रम के जुलूसों को सकुशल एवं शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराए जाने के लिए खेतासराय में भारी पुलिस फोर्स के साथ पैदल गश्त किया, और जुलूस पूरा होने तक वहां मौजूद रहे अपने मातहत पुलिस कर्मियों को आवश्यक निर्देश देते रहे ।